शिक्षा के स्तर में सुधार के लिये केंद्र एवं राज्य सरकार नित्य कर रहे हैं बदलाव ।लेकिन बिहार के विद्यालय एवं महाविद्यालयों में कागज पर ही बनता है पानी,बिजली एवं जीव जन्तु ।
शिक्षा के स्तर में सुधार के लिये केंद्र एवं राज्य सरकार नित्य कर रहे हैं बदलाव ।लेकिन बिहार के विद्यालय एवं महाविद्यालयों में कागज पर ही बनता है पानी,बिजली एवं जीव जन्तु ।
वरिष्ठ पत्रकार चंदन कुमार सिंह
शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए जँहा केंद्र सरकार जापान एवं अमेरिका की व्यवस्था का अनुशरन कर नित्य बदलाव कर रहे हैं ।राज्य सरकार दरभंगा जैसी छोटे शहर में तारामण्डल लगा रहे । राज्य के विद्यालय एवं महाविद्यालयों में आधारभूत संरचना का निर्माण भी हुआ है । प्रयोगशाला भी हैं लेकिन यह क्या हो रहा है सम्पुर्ण बिहार में प्रयोग एवं प्रयोगशाला का काम कागज पर ही हो रहा है ।चौकिये नहीं बिहार के विद्यालय में छात्र कागज पर ही बिजली , पानी एवं जीव जन्तु की उत्पत्ति कर रहे हैं ।और तो और सत्ता के शीर्ष से लेकर अर्श तक सब के सब वाकिफ हैं ।लेकिन शिक्षा व्यवस्था के इस गोरखधन्धे में सब के सब मस्त है ।छात्र जँहा बिन प्रयोग के अंक प्राप्त कर,वही शिक्षक बिना कोई कार्य किये अंक देकर ।फलतः प्रायः संपुर्ण बिहार इस रोग से ग्रसित हो गया है । कोई हाल मस्त ,कोई चाल मस्त ।सब मस्त हैं अपनी मस्ती में *****। लेकिन सब इसी तरह मस्त रहें तो विश्व गुरु बनने एवं मेक इन ईन्डिया का सपना मुंगेरीलाल के हसीन सपने बन कर रह जाएगा। छात्र,शिक्षक,अविभावक एवं शासन व्यवस्था को आपसी ताल मेल बिठा कर काम करना होगा ।अन्यथा आधारभूत संरचना,प्रयोगशाला,नित्य बन रहे शिक्षा नीति ढ़ाक के तीन पात ही साबित होगा ।कुछ अच्छा करने के लिए सख्त निर्णय लेना पड़े तो लेना चाहिए ।नहीं तो भविष्य में सरकार का काल खण्ड पर लोगों को आंशु बहाना पड़ेगा ।जिसका हम सब जिम्मेदार होगें ।
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