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बढ़ रही जनसंख्या,सिकुड़ रहा हैं बिहार की सड़के ।प्रशासनिक अधिकारी सुस्त,अतिक्रमण कारी चुस्त ।

बढ़ रही जनसंख्या,सिकुड़ रहा हैं बिहार की सड़के ।प्रशासनिक अधिकारी सुस्त,अतिक्रमण कारी चुस्त ।। 

वरिष्ठ पत्रकार चंदन कुमार सिंह

बिहार की सड़के अतिक्रमण से सिकुड़ती जा रही हैं ।जवकि जनसांख्य का घनत्व एवं वाहनों की बढ़ती संख्या नित्य नया आयाम जढ़ रहा हैं ।सड़कों पर वाहनो का भरी दवाब है ।गाँव से लेकर शहर तक वाहन खड़ा करने में कठिनाई हो रही हैं ।सड़कों पर हो रहे दुर्घटनाओं में  सिकुड़ती सड़क  भी एक प्रमुख कारण है । आम जनता,राजनेता ,न्यायाधीश एवं प्रशासनिक महकमा भी इस समस्या से मर्माहत हैं । लेकिन “बिल्ली के गले में कौन घंटी बंधेगा “बाली लोकोक्ती चरितार्थ हो रही है । पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर 1990 के दशक में बिहार की सड़को को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था ।लेकिन अब जब बिहार की जनसांख्या दस करोड़ को पार कर गयी तो फिर दो दशक पूर्व की समस्या सामने खड़ा हो गया है ।राज्य सरकार ट्रेफिक से बचने के लिये तो जेट विमान खरीद रहें हैं ।लेकिन आम जनता  एवं बीमार लोगों को अस्पताल तक ले जाने के लिये एम्बुलेंस का क्या? आम जनता की समस्या को सामर्थ्यवान लोग नहीं देखेंगे तो कौन देखेगा? समाज का हर कोई सिकुड़ती सड़क एवं ट्रेफिक की समस्या से आहत है ।पर हर कोई एक दूसरे को दोषी ठहरा कर पल्ला झाड़ लेते हैं ।अतिक्रमण मुक्त सड़क रखने की जिम्मेदारी सिर्फ़   प्रशासन की नहीं हम सब की है।राज्य सरकार एवं प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि सड़क ट्रेफ़िक व्यवस्था को ठीक रखने के लिये अगर शख्त कानून ही बनाना पड़े तो चूकना नहीं चाहिए ।


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