



11 महीनों में 55 HIV संक्रमित मरीजों की मौत
धनबाद में पिछले 11 महीनों में 55 एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत हुई है. यह आंकड़ा अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक का है. यह आंकड़ा जिले के SNMMCH अस्पताल के ए आर टी सेंटर का है. पिछले साल एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत की संख्या करीब 20 के आसपास थी. पहले के वर्ष में भी कुछ इसी तरह से आंकड़ा रहा है, लेकिन पिछले 11 महीने का यह आंकड़ा काफी चौंकाने वाला है. के एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी यानी एआरटी सेंटर के सीनियर मेडिकल ऑफिसर ने मामले को लेकर कहा कि संक्रमित की पहचान के लिए कई तरीके हैं.
उन्होंने कहा कि कई बार मरीज को खांसी आराम नहीं होता है, कभी कभी लंबे समय के लिए लोग बुखार से पीड़ित रहते हैं. वैसे मरीजों का आईसीटीसी में जांच कराई जाती है. अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई, उसके बाद ए आर टी सेंटर जांच के लिए पहुंचते हैं. फिर मरीज की बेसिक जांच जैसे सीबीसी, किडनी, लिवर समेत तरह कई तरह की जांच की जाती है. ऐसे केस में टीबी की ज्यादा समस्या रहती है. टीबी के कारण मरीजों का सीबीनेट कराया जाता है. उसके 14 दिनों में एचआईवी की दवा दी जाती है. लिवर या किडनी की समस्या आती है, तो उसका भी इलाज चलता है.
उन्होंने बताया कि करीब 3200 एचआईवी संक्रमित मरीज है. जिनमें 1500 मरीज की रेगुलर दवा यहां से चलती है. जिसे अलाइव ऑन ए आर टी कहा जाता है. बाकी जो संक्रमित मरीज है, वह दूसरे राज्य या फिर काम करने के लिए बाहर चले जाते हैं. साल 2024 के अप्रैल महीने से 2025 के फरवरी महीने तक करीब 55 एचआईवी संक्रमित मरीज की मौत हुई है. जिसे लेकर उन्होंने कहा कि पहले टीबी , निमोनिया,जैसी बीमारियों के कारण संक्रमित मरीजों की मौत हो रही थी. लेकिन इधर जो प्रचलन में आया है,वह यह है कि किडनी की समस्या संक्रमित मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है.
डॉ प्रदीप कुमार ने कहा कि किडनी की बीमारी के दौरान एचआईवी की दवाई रोकनी पड़ती है. किडनी की बीमारी के कारण संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है. संक्रमित मरीजों की मौत पर रोकथाम के लिए उन्हें किडनी के डॉक्टर के पास रेफर कर रहें हैं. ऐसे मरीजों को ज्यादातर रांची रिम्स रेफर कर दिया जाता है. मरीज को हानि ना पहुंचे उसके अनुसार ही हमलोग यहां एचआईवी की दवाई शुरू करते हैं. उन्होंने संक्रमित मरीजों से अपील करते हुए कहा कि घबराने और चिंता करने की बात नहीं है. दवाईयों का लगातार सेवन करने की जरूरत है. हमारे पास ऐसे भी मरीज है, जो 20 से 25 साल से दवाई का सेवन कर रहें हैं. आज उनकी उम्र सत्तर साल के करीब पहुंच चुकी है. मरीज बिल्कुल भी लापरवाही ना करें समय से दवाई का सेवन करें.
जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ रोहित गौतम ने कहा कि एचआईवी एक वायरस है, जो शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर करता है. इसके फैलने के कई कारण हैं. संक्रमित सुई से इंजेक्शन अन्प्रोटेक्ट्स सेक्स, ब्लड ट्रांसफर, ये सभी कॉमन है. जिनसे एचआईवी संक्रमण फैलता है. ड्रग एब्यूजर या फिर सेक्स वर्कर्स हैं. इनसे संक्रमण फैलता है. रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है. बस स्टैंड या फिर ऐसे इलाकों में कैंप लगाया जाता है. बहुत लोगों टेस्ट भी कराया जाता है. जेल में भी कैंप लगाया जाता है. जेल में बंद बंदियों की जांच करवाते हैं.
उन्होंने कहा कि कई एजेंसी हैं जो मिलकर हमारे साथ काम करते हैं. ऐसे करीब 6 से 7 एजेंसी हैं. गांव में भी एएनएम के द्वारा जागरूकता चलाई जाती है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें पता है कि वह एचआईवी पॉजिटिव है, लेकिन वह सामने नहीं आते हैं. उन्हें खुद से आने की जरूरत है. यह काफी गोपनीय रहता है. मरीज की जानकारी किसी को भी नहीं दी जाती है. उसका नाम और पता गुप्त रखा जाता है. बचाव में ही सुरक्षा है. आज के दिन में इसके लिए कई दवाइयां आ चुकी है. जिसका सेवन कर वह अपने जीवन को लंबे समय तक जिंदगी बिता सकते हैं.