बिहार मे पंचायत शिक्षक को स्थानीय रहने पर बच्चों का पढ़ाई बाधित हो रहा है
बिहार मे पूर्व मे शिक्षा मित्र पंचायत शिक्षक और प्रखंड शिक्षक का नियोजन किया गया जो कई वर्षो लगभग बीस बर्षो से एक ही जगह एक ही विद्यालय मे पद स्थापित है वो भी अपनें गांव पंचायत या प्रखंड मे। साथ ही कई शिक्षक तो प्रधानाध्यापक भी बने हुए है जिस कारण लोकल होने पर विद्यालय मे पठन पाठन मध्यान भोजन कार्य बाधित होता है। चुकी बच्चे और उसके माता पिता भी खुलकर शिकायत नहीं कर पाते है। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक जी को इस बातो पर भी ध्यान देना चाहिए तब विद्यालय मे गुणवतापूर्ण शिक्षा मिल सकता है बाहरी शिक्षकों मे थोड़ा विशेष जबाबदेहि रहता है। शिक्षकों के स्थानांतरण के बिना कार्य सुचारु ढंग से नहीं चल सकता है। स्थानीय होने पर शिक्षकों का पकर भी जन प्रतिनिधि से लेकर स्थानीय पदाधिकारी पर रहता है।। इसलिय शिक्षकों द्वारा अनिमितता करने या लापरवाही बरतने पर पंचायत स्तर के मुखिया हो या प्रखंड स्तरीय अधिकारी हो सबके सब नजर अंदाज किया करते है। जिस कोप भाजन स्कूली बच्चे को बनना पड़ता है