



बिहार में वज्र पात से 31लोगो की मौत
बिहार के कई जिलों में आए तेज आंधी-पानी और वज्रपात ने भारी तबाही मचाई है. नालंदा, सिवान, भोजपुर, गोपालगंज, बेगूसराय, सारण, गया, जहानाबाद और अरवल में पेड़, दीवार, पुलिया और झोपड़ियों के गिरने से 31 लोगों की जान चली गई. सबसे ज्यादा प्रभावित जिला नालंदा रहा, जहां अलग-अलग घटनाओं में 13 लोगों की मौत हुई है. नालंदा जिले के मानपुर थाना क्षेत्र के नगवां गांव में देवी स्थान की दीवार पर विशाल पीपल का पेड़ गिरने से मलबे में दबकर छह लोगों की मौत हो गई. इस्लामपुर क्षेत्र में पुलिया धंसने से एक महिला, उसका दो साल का पोता और नौ माह की पोती की मौत हो गई. पावापुरी क्षेत्र के दुर्गापुर खंधा में ताड़ के पेड़ से दबकर एक 10 वर्षीय बालक की जान चली गई, जबकि सिलाव और राजगीर में ताड़ व अन्य पेड़ों से दबकर तीन लोगों की मौत हुई है.
भोजपुर जिले में पांच लोगों की जान गई, जिसमें मां-बेटे समेत चार लोग दीवार और पेड़ से दबकर मरे, जबकि एक व्यक्ति की मौत वज्रपात से हुई. वहीं, जिले में महुली घाट-सिताबदियारा को जोड़ने वाला पीपा पुल तेज आंधी में टूट गया, जिससे आवागमन प्रभावित हो गया है. सिवान में वज्रपात से चार लोगों की मौत हुई है. सारण जिले के पानापुर में दो लोगों की जान गई है. गोपालगंज में झोपड़ी पर पेड़ गिरने से एक महिला की मौत हुई है. जहानाबाद और बेगूसराय में भी वज्रपात की चपेट में आकर तीन लोगों की मौत हुई है.
अरवल-पटना सीमा पर बेदौली गांव में दीवार और पेड़ के मलबे में दबकर दो लोगों की मौत हो गई. गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड के मायापुर गांव में दीवार गिरने से आठ वर्षीय बालक की मौत हो गई. प्राकृतिक आपदा से केवल जनहानि ही नहीं, फसल और संपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ है. कई जगहों पर कच्चे घर ढह गए हैं, पेड़ उखड़ गए हैं और बिजली आपूर्ति ठप हो गई है. खासतौर से उन किसानों को नुकसान हुआ है जिनकी गेहूं की कटाई हो चुकी थी और फसल खेत में पड़ी थी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा में जान गंवाने वालों के प्रति गहरी संवेदना जताई है. उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने लोगों से खराब मौसम में सतर्क रहने और आपदा प्रबंधन विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है.