कृष्ण भगवान की छठी कब है, जानें पूजा की पूरी विधि और शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के पूर्णावतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण की पूजा बहुत ज्यादा शुभ और सभी कामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है. यही कारण है कि हर साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मुरलीमनोहर कृष्ण का जन्मोत्सव देश-दुनिया में धूम-धाम से मनाया जाता है. कान्हा के भक्त उनके जन्मोत्सव के ठीक 6 दिन बाद एक आम बच्चे की तरह उनकी छठी पूजा भी करते हैं, जो कि इस साल 12 सितंबर 2023, मंगलवार को मनाई जाएगी. सनातन परंपरा में कान्हा की छठी पूजा का क्या महत्व है और इसे कल किस मुहूर्त करना उचित रहेगा, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
पंचांग के अनुसार इस साल भगवान श्रीकृष्ण की छठी का पर्व 12 सितबंर 2023 को मनाया जाएगा और इस दिन आप उनकी पूजा सुबह 06:04 बजे से रात्रि 11:01 बजे तक रहने वाले सर्वार्थ सिद्ध योग में कभी भी कर सकते हैं.
कान्हा की छठी पूजा का महत्व
सनातन परंपरा में जिस प्रकार एक छोटे बच्चे के जन्म लेने के छठवें दिन उसकी छठी मनाई जाती है, उसी प्रकार जन्माष्टमी के महापर्व से ठीक छह दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त उनकी छठी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण की छठी पूजा को विधि-विधान से करता है और उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाता है, उस पर कान्हा की पूरे साल कृपा बरसती है और उसे पुण्यफल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि कान्हा की कृपा से कृष्ण भक्त पूरे साल तमाम तरह की विपदाओं और कष्टों से बचा रहता है.
हिंदू धर्म से जुड़े लोग जन्माष्टमी के छह दिन अपने लड्डू गोपाल की पूजा बिल्कुल वैसे ही करते हैं जैसे उनके घर में किसी नवजात शिशु की छठी मनाई जाती है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की विधि-विधान से पूजा करने, भोग लगाने, जप करने और मंगलगीत गाने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.
ऐसे में इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद एक चौकी पर आसन बिठाकर अपने लड्डू गोपाल को बिठाएं और उन्हें सबसे पहले पंचामृत से फिर उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं. इसके बाद कान्हा को नए वस्त्र पहनाकर उनका श्रृंगार करें तथा फल-फूल, धूप-दीप, भोग और उनकी मनपसंद चीजें चढ़ाकर पूजा करें. कान्हा की पूजा में उनके मंत्र का जप या फिर उनके लिए मंगल गान करें. पूजा के अंत में कान्हा की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें तथा स्वयं भी ग्रहण करें.