कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन बताने वाले मंत्री विजय शाह को कोर्ट से कड़ी फटकार

कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन बताने वाले मंत्री विजय शाह को कोर्ट से कड़ी फटकार

कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह मुश्किल में आ गए हैं. माफी मांगने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रहीं. हाईकोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 152 और धारा 196 (1)(B) के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए भेज दी गई है.अपराध प्रमाणित होने पर उन्हें कम से कम सात साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी की तुलना गटर से की थी.

 

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंत्री विजय शाह के बयान पर स्वमोटो एक्शन लिया है. कोर्ट ने कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई यह टिप्पणी ना केवल आपत्तिजनक है, बल्कि देश की एकता, अखंडता और सेना की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने वाला है. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बेंच ने इस मामले में प्रदेश के DGP को कड़े निर्देश दिए. टाइमलाइन तय करते हुए कहा कि चार घंटे के अंदर मंत्री के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाएं. कोर्ट ने चेतावनी दी कि आदेश के पालन में देरी को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मंत्री विजय शाह पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है. दरअसल सात साल से कम सजा वाले अपराध में ही आरोपी को गिरफ्तारी से छूट मिली है. जबकि मंत्री विजय शाह पर जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, वह नॉन बेलेबल होने के साथ ही इसमें साल साल से आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. ऐसे में पुलिस उन्हें कभी भी अरेस्ट कर जेल भेज सकती है. बता दें कि मंत्री विजय शाह ने महू के अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सभा के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी.

मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को उन आतंकवादियों की “बहन” बताया था, जिन्होंने पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी. यही नहीं, मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य कसते हुए कहा था कि उन्होंने “आतंकवादियों की बहन” को सेना में भेजा है. अब कोर्ट ने मंत्री की भाषा को “गटर की भाषा” (sewer language) करार दिया है. कहा कि यह न केवल एक महिला अधिकारी का अपमान है, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है.
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे की बात कही गई है. लगाववादी भावनाएं भड़कने की आशंका पर इस धारा का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा भारत विरोधी उत्तेजक टिप्पणी पर भी यही धारा लगती है. इस धारा में न्यूनतम सात साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. इसी प्रकार धारा 196 (1)(B) में धर्म, जाति, भाषा के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी को भड़काने की बात कही गई है. इसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है.

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