भारतीय राजनीति में अजब प्रेम की गजब कहानी ।
वरिष्ठ पत्रकार चंदन कुमार सिंह
भारतीय राजनीति में एक ओर जहाँ जनसंख्या नियंत्रण के लिये लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है ।वही दूसरी ओर बहुसंख्यक समुदाय को अपने पाले में करने के लिए भारतीय लोकतंत्र के राजा डुगडुगी बजा रहे है ।स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भू दान आन्दोलन में अपना सब कुछ दांव पर लगाने वाले लोग दाने-दाने को मोहताज हैं जवकि चाटूकारिता के बल पर कुछ लोग मलाई मार रहे है।स्वतंत्र भारत में हर वर्ग को स्वतंत्रता क्यों नहीं ? समय ,काल और परिस्थिति के अनुसार नियम क्यों बदल जाते हैं।लोकतंत्र में मुख्य मंत्री बनने के लिये बाबा साहेब भींम राव अम्बेडकर ने पहले ही नियम बना दिया है कि ज्यादा मत पाने बाले नेता होंगे । फिर यह जाति गणना और पिछड़ा प्रेम दिखाकर क्या दर्शाना चाहते नेता लोग ? केन्द्र और राज्य की दोनो सत्ता पर पिछड़ा वर्ग के लोग ही हैं ।फिर समाज में जाति एवं धर्म के नाम पर राजनीति कर क्यों विद्वेष फैलाने का प्रयास हो रहा हैं? आम मतदाताओं को यह समझना होगा कि बिन बादल वर्षात क्यों हो रहा है? क्या सत्ता के लिये बहुसंख्यक और राष्ट्र निर्माण के लिये अल्पसंख्यक ? यही दोमुहाँ राजनीत होगी और समाज में भारतीय लोकतंत्र की अजब प्रेम की गजब कहानी के सहारे नेता अपना गोटि लाल करेंगे ।