ऊंटाधुरा दर्रा कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित

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ऊंटाधुरा दर्रा कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित

मध्य एशिया में स्थित अपने विशाल पठारों और पर्वतों दुनिया की छत” कहा जाता

विक्रम सिंह रिपोर्टर

हल्द्वानी /देहरादून (उत्तराखण्ड) – 04,अक्टूबर 2025
तिब्बत को अक्सर “दुनिया की छत” कहा जाता है क्योंकि यह मध्य एशिया में स्थित अपने विशाल पठारों और पर्वतों, जिनमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है, से घिरा है। इसकी सीमा चीन, भारत, नेपाल और भूटान सहित कई देशों और क्षेत्रों से लगती है।
ऊंटाधुरा दर्रा कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ जनपद की मुनस्यारी तहसील में भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई ५,३६० मीटर (१७,५९० फ़ीट) है। यह देखने में ऊँट की पीठ जैसा लगता है, और इस कारण इसे ऊंटाधुरा कहा जाता है। तिब्बत में इसका नाम क्यूनाम ला है। पिथौरागढ़ से नेपाल की निकटतम सीमा धारचूला से केवल कुछ किलोमीटर दूर है, जहाँ आप एक पुल पार कर आसानी से दार्चुला शहर में पहुँच सकते हैं। अगर पूरे नेपाल की दूरी की बात करें, तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप नेपाल के किस हिस्से में जाना चाहते हैं; उदाहरण के लिए, नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़क मार्ग से दूरी पिथौरागढ़ से काफी अधिक है।  उत्तराखंड के 3 जिले पिथौरागढ, चंपावत और उधमसिंह नगर की सीमा नेपाल से लगती है। और 3 जिले पिथौरागढ, चमोली और उत्तरकाशी तिब्बत (चीन) की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगते हैं।
भारत के साथ सात देश अपनी स्थलीय सीमा साझा करते हैं: पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार। बांग्लादेश भारत के साथ सबसे लंबी सीमा साझा करता है क्योंकि यह तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है। इसे दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी स्थलीय सीमा कहा जाता है। कथन से पता चलता है कि लद्दाख को अक्सर “छोटा तिब्बत” कहा जाता है। तिब्बत में मुख्य धर्म बौद्ध धर्म रहा है, जब से इसकी शुरुआत 8वीं शताब्दी ई. में हुई थी । 2022 तक, तिब्बत का ऐतिहासिक क्षेत्र (जातीय तिब्बतियों द्वारा बसाए गए क्षेत्र) में मुख्यतः चीन का तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) और आंशिक रूप से किंघई, सिचुआन, गांसु और युन्नान के चीनी प्रांत शामिल हैं। तिब्बत, जो कि एक देश की बजाय चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र है, का अपना एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में इतिहास रहा है, लेकिन 1950 के दशक में इसे चीन के जनवादी गणराज्य में शामिल कर लिया गया। हालांकि तिब्बत की अपनी एक मजबूत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे चीन के हिस्से के रूप में ही मान्यता प्राप्त है। लिपुलेख दर्रा भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह भारत और तिब्बत (चीन) के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है और नेपाल की सीमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत-नेपाल सीमा का कोई एक विशेष नाम नहीं है, बल्कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय सीमा है जिसे विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि सोनौली, रक्सौल, जोगबनी, और पानीटंकी। सीमा का कुछ हिस्सा महाकाली (काली) नदी द्वारा भी निर्धारित होता है, जो 1816 की सुगौली संधि के तहत सीमा के रूप में स्थापित है।

Kaushal kumar
Author: Kaushal kumar

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