विक्रम सिंह रिपोर्टर
हल्द्वानी (उत्तराखण्ड)-06,अक्टूबर 2025
उत्तराखंड ने 27 जनवरी, 2025 को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर भारत का पहला राज्य बना, जो लिंग, जाति या धर्म के बावजूद सभी नागरिकों के लिए शादी, तलाक, विवाह, गोद लेने और उत्तराधिकार के संबंध में एक समान कानून प्रदान करता है। इस ऐतिहासिक कानून के तहत एक विवाह का पंजीकरण अनिवार्य है, बहुविवाह और एकतरफा तलाक पर रोक है, और बेटियों को भी बेटों के समान संपत्ति का अधिकार मिलता है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
यूसीसी के मुख्य प्रावधान
शादी और तलाक
सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, और संबंध के नियम एक समान होंगे, जिससे बहुविवाह पर रोक लगेगी।
गोद लेना
गोद लेने की प्रक्रिया सभी धर्मों और जातियों के लिए धर्मनिरपेक्ष और समान होगी।
संपत्ति का अधिकार:
बेटियों और बेटों को संपत्ति पर समान अधिकार मिलेगा, जिससे लैंगिक समानता सुनिश्चित होगी।
लिव-इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जो पारदर्शिता और महिला सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
पंजीकरण
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य है, और यूसीसी का उल्लंघन करने पर जुर्माना या सजा का प्रावधान है।
यूसीसी के लागू होने से होने वाले बदलाव
विभिन्न धर्मों और समुदायों पर आधारित कानूनों में एकरूपता आएगी।
भारत में स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसी राज्य में यूसीसी लागू हुआ है।
सभी नागरिकों को एक समान कानूनी ढांचा मिलेगा, जिससे सामाजिक सद्भाव और लैंगिक समानता बढ़ेगी।
यह एक तरह से उत्तराखंड का नागरिक डेटाबेस को समृद्ध करेगा।
कैसे लागू हुई यूसीसी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी, 2025 को यूसीसी को लागू करने की घोषणा की।
इससे पहले, 2022 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने यूसीसी लागू करने का वादा किया था।
यूसीसी विधेयक को विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार किया गया था और फिर मंत्रिमंडल की पहली बैठक में इसे मंजूरी दी गई थी।
