आर्थिक तंगी, अवसरों की कमी और निराशा के कारण व्यक्ति की अपराध मे लिप्तता
बेरोजगारी अपराध के लिए एक उत्प्रेरक
विक्रम सिंह
हल्द्वानी ( उत्तराखण्ड ) :14,अक्टूबर 2025
नहीं, अपराध में शामिल होना बेरोजगारी नहीं है, बल्कि बेरोजगारी अक्सर अपराध का एक कारण बन सकती है। बेरोजगारी और अपराध के बीच एक जटिल संबंध है, जहाँ आर्थिक तंगी, अवसरों की कमी और निराशा के कारण व्यक्ति अपराध की ओर आकर्षित हो सकता है। हालाँकि, यह एकमात्र कारण नहीं है, और बहुत से अपराध अन्य आर्थिक और सामाजिक कारकों से जुड़े होते हैं, जैसे गरीबी, शिक्षा की कमी और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं।
बेरोजगारी और अपराध के बीच संबंध
आर्थिक दबाव : जब लोगों के पास आय का कोई साधन नहीं होता है, तो अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए वे अपराध का सहारा ले सकते हैं।
अवसर की कमी : शिक्षा और कौशल होने के बावजूद रोज़गार न मिलने से लोग हताश हो सकते हैं और अपराध की राह अपना सकते हैं।
अपराध के लिए एक उत्प्रेरक : बेरोज़गारी के कारण होने वाला तनाव और खाली समय भी लोगों को अपराध की ओर धकेल सकता है।
जटिल संबंध : यह संबंध सरल नहीं है और इसमें कई कारक शामिल हैं। कुछ शोध बताते हैं कि बेरोज़गारी में कमी से संपत्ति संबंधी अपराध कम हो सकते हैं, लेकिन हिंसक अपराधों पर इसका सीधा असर नहीं हो सकता है।
अपराध का एक परिणाम : कई बार अपराध में शामिल होने के बाद व्यक्ति का आपराधिक रिकॉर्ड उसे नौकरी पाने में और भी मुश्किल में डाल देता है, जिससे वह अपराध के एक चक्र में फंस सकता है।
अपराध में शामिल होना एक कानूनी और सामाजिक मुद्दा है, जबकि बेरोजगारी एक आर्थिक स्थिति है। ये दोनों जुड़े हुए हो सकते हैं, जहाँ बेरोजगारी अपराध के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकती है, लेकिन यह अपराध का एकमात्र कारण नहीं है।









