भैयादूज भाई-बहन के अटूट स्नेह और सुरक्षा के रिश्ते का तीज

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

भैयादूज भाई-बहन के अटूट स्नेह और सुरक्षा के रिश्ते का तीज

इस दिन को यम द्वितीया भी कहते

विक्रम सिंह
हल्द्वानी ( उत्तराखण्ड ) – 22,अक्टूबर 2025
दिवाली पर भैयादूज का महत्व भाई-बहन के अटूट स्नेह और सुरक्षा के रिश्ते को मनाने में है, जो दीपावली के त्योहार का अंतिम और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व भाई की लंबी उम्र, खुशी और समृद्धि की कामना और बहन के प्रति भाई के प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं, क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे।

भैयादूज का महत्व

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक: यह पर्व भाई-बहन के बीच के खास और पवित्र रिश्ते को समर्पित है, जो उनके स्नेह और आपसी सम्मान को मजबूत करता है।

लंबी उम्र और समृद्धि की कामना: बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, खुशी और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं और उनके माथे पर तिलक करती हैं।

सुरक्षा और कर्तव्य का भाव: यह पर्व सुरक्षा, सम्मान और कर्तव्य की भावना को भी उजागर करता है, जो भाई-बहन के रिश्ते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यम द्वितीया: इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे और उन्होंने बहन के आतिथ्य से प्रसन्न होकर वरदान दिया था।

उपहारों का आदान-प्रदान: इस दिन भाई अपनी बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं, और बहनें भाई की पूजा करके अपने स्नेह का इज़हार करती हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

दीपावली का समापन: भैयादूज, पांच दिवसीय दीपावली उत्सव का समापन दिवस है, जो त्योहारों के इस पूरे सिलसिले को एक प्रेमपूर्ण और पारिवारिक बंधन के साथ समाप्त करता है।

पौराणिक कथा: यह पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना की पौराणिक कथा पर आधारित है। इसी घटना से यह परंपरा शुरू हुई कि बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में परंपराएं: भारत के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में इसे “भाऊ बीज” और पश्चिम बंगाल में “भाई फोंटा” कहा जाता है।

यमराज का भय समाप्त: इस दिन यमराज और यमुना की पूजा करने से भाई को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है, ऐसा माना जाता है।

Kaushal kumar
Author: Kaushal kumar

Leave a Comment

और पढ़ें