संवेदना से सृजन तक: डॉ. सत्यवान सौरभ की साहित्यिक पहचान

डॉ. सत्यवान सौरभ समकालीन हिंदी साहित्य के उन विरले रचनाकारों में हैं जिनकी लेखनी में विचारों की स्पष्टता, भावों की गहराई और सामाजिक सरोकारों की गंभीरता एक साथ समाहित होती है। वे न केवल एक प्रखर कवि हैं, बल्कि एक सजग स्तंभकार, दोहाकार, बाल साहित्य के समर्थ पक्षधर और ग्रामीण भारत की आत्मा को शब्दों में ढालने वाले एक सच्चे साहित्यकार भी हैं।
हरियाणा की मिट्टी में जन्मे और वहीं की संवेदना से सींचे गए डॉ. सौरभ की लेखनी में गाँव की गलियों की ख़ामोशी, खेतों की आहट, बच्चों की किलकारी, और समाज की विडंबनाएँ अनायास ही आकार लेती हैं। वे शब्दों के माध्यम से संवाद नहीं, एक संवेदनशील उत्तरदायित्व निभाते हैं।

राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और शोधकार्य के दौरान डॉ. सौरभ ने साहित्य को केवल सौंदर्यबोध की वस्तु नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का औजार माना। उनका लेखन किसी वाद, दल, या तात्कालिक रुझानों के अधीन नहीं होता, बल्कि अनुभव और आत्मसत्य से संचालित होता है।
वे मानते हैं —
> “साहित्य वही नहीं जो केवल पढ़ा जाए, बल्कि जो पढ़कर जीवन की दिशा बदले, सोच उभरे, और समाज जागे।”

डॉ. सत्यवान सौरभ का साहित्य विधाओं की विविधता और विषयों की प्रामाणिकता के लिए जाना जाता है। उन्होंने कविता, दोहा, बाल साहित्य, निबंध, लघुकथा और अंग्रेज़ी निबंध जैसे अनेक रूपों में अपने विचार और संवेदनाएँ अभिव्यक्त की हैं।

1. यादें – स्मृतियों की भीगी पगडंडियों से जीवन के रंगों तक की कविता यात्रा।
2. तितली है ख़ामोश (दोहा संग्रह) – स्त्री, समाज और आत्मा की चुप आवाज़।
3. कहता है कुरुक्षेत्र (दोहा संग्रह) – आज के भारत की तीखी सच्चाइयों को कुरुक्षेत्र की दृष्टि से जोड़ता चिंतन।
इन रचनाओं में कहीं महादेवी वर्मा की करुणा है, कहीं दुष्यंत कुमार का आक्रोश और कहीं कबीर की तीव्रता।

डॉ. सौरभ का मानना है कि बाल साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कार और सोच का बीज होता है।
4. काग़ज़ की नाव – बच्चों की कल्पना और संघर्ष को समर्पित।
5. चुन्नू-मुन्नू की कविताएँ – नैतिक मूल्यों और सोच के सहज पाठ।
6. बाल प्रज्ञान – रोचक और शिक्षाप्रद बाल कविताएँ।
7. आधुनिक बाल पहेलियाँ – बुद्धि को गुदगुदाने वाली नवीन पहेलियाँ।
इन कृतियों में शिक्षा, संवेदना और बालमनोविज्ञान का गहरा संतुलन है।

8. कुदरत की पीर – पर्यावरण की करुण पुकार और मनुष्य की भूमिका।
9. खेड़ी-बाड़ी और किसानी – किसान की ज़ुबान, ज़मीन और ज़ख्म का दस्तावेज़।
10. Issues and Pains (अंग्रेज़ी निबंध संग्रह) – Empathetic analysis of contemporary issues.
11. फैसला (लघुकथा संग्रह) – छोटी कथाओं में बड़े जीवन-संदेश और मानवीय द्वंद्व।
इन रचनाओं में लेखक का पारिस्थितिकी और मानवीय दृष्टिकोण का अनूठा मेल है।

डॉ. सौरभ कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों व पोर्टलों पर समसामयिक विषयों पर लिखते हैं —
उनके स्तंभों में प्रमुख विषय होते हैं:
शिक्षा की विसंगतियाँ
किसान आत्महत्या और ग्रामीण संकट
जातिवाद और सामाजिक अन्याय
डिजिटल दुनिया और मानसिक स्वास्थ्य
नारी-सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संघर्ष
उनका लेखन किसी एजेंडे को आगे नहीं बढ़ाता, बल्कि जन की पीड़ा और प्रश्नों को आवाज़ देता है।

डॉ. सौरभ ने अनेक राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों, बाल साहित्य गोष्ठियों और साहित्यिक आयोजनों में सहभागिता की है। उनका काव्यपाठ, विशेषकर दोहों के माध्यम से सामाजिक आलोचना, श्रोताओं को सोचने पर विवश कर देता है।
ऑनलाइन मंचों पर उनके विचारपूर्ण वीडियो, लेख और कविताएँ हजारों पाठकों और श्रोताओं तक पहुँचती हैं।

डॉ. सत्यवान सौरभ की लेखनी किसी आभिजात्य भाषा की चकाचौंध नहीं है।
वह धरती की गंध, बच्चे की मुस्कान, माँ की पीड़ा, किसान की खामोशी और स्त्री की चुप चीख को शब्दों में ढालती है।
उनकी शैली में सहजता है, लेकिन साधारणपन नहीं; भावनाएँ हैं, लेकिन भावुकता नहीं; और सबसे बड़ी बात –
उनके शब्दों में वह ईमानदारी है जो आज की दुनिया में दुर्लभ होती जा रही है।

डॉ. सत्यवान सौरभ सिर्फ एक लेखक नहीं —
वे एक दर्पण हैं समय का,
पाठक हैं समाज का,
और सपने देखने वाले कवि हैं आने वाले भारत के।
अगर आप कविता में विचार,
निबंध में संवेदना,
और बाल साहित्य में सादगी खोज रहे हैं,
तो डॉ. सौरभ की पुस्तकें आपके मन, मस्तिष्क और आत्मा — तीनों को समृद्ध करेंगी।
