इन 34 देशों में लीगल है सेम सेक्स मैरिज, इतनी बड़ी है इनकी इकोनॉमी

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इन 34 देशों में लीगल है सेम सेक्स मैरिज, इतनी बड़ी है इनकी इकोनॉमी

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज पर अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मिला जुला फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया हैं भारत में इसे कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है. वैसे सेम सेक्स मैरिज को अमेरिका समेत दुनिया के 33 देशों में मान्यता मिली है. वहीं इसका इकोनॉमिक असर भी काफी बेहतर देखने को मिला है. जब ताइवान में सेम सेक्स मैरिज को लीगल करार दिया तो देश में मौजूद कई मल्टी नेशनल कंपनियों ने इसके इकोनॉमिक इंपैक्ट के बारे में भी बात की थी. रिसर्च रिपोर्ट्स के मुताबिक सेम सेक्स वालों को भी वहीं अधिकार मिलना चाहिए जो एक सामान्य कपल्स को मिलता है.वहीं सेम सेक्स मैरिज को लीगल बनाने से शॉर्ट और लॉन्ग टर्म दोनों में इकोनॉमिक बेनिफिट देखने को मिलते हैं.

अलजजीरा रिपोर्ट के अनुसार कुछ साल पहले यूसीएलए स्कूल ऑफ लॉ के विलियम्स इंस्टीट्यूट की सीनियर लॉयर क्रिस्टी मैलोरी और उनकी टीम ने एक रिसर्च किया था। इस रिसर्च में अमेरिका में सेम मैरिज कपल की शादी के खर्च का अनुमान लगाया था. रिसर्च के मुताबिक सेम सेक्स कपल्स अपनी शादी में काफी खर्च करते हैं। जिससे स्टेट इकोनॉमी को काफी बूस्ट मिलता है। रिपोर्ट के अनुसार इस तरह की शादी से स्टेट और लोकल बॉडी को टैक्स रेवेन्यू में फायदा तो मिलता ही है। साथ ही टुरिज्म को भी बढ़ावा मिलता है।

इकोनॉमी को मिल सकता है बूस्ट
मैलोरी की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार सभी स्टेट्स में शादी की मंजूरी मिलने के बाद कुल मिलाकर 2.6 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट किया जा सकता है. जिसमें स्टेट और लोकल टैक्स रेवेन्यू की हिस्सेदारी 184.7 मिलियन डॉलर हो सकती है। साथ ही 13,000 लोगों की जॉब को सपोर्ट किया जा सकता है. मैलोरी ने अपनी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अमेरिका में साल 2015 में 1,23,000 सेम सेक्स कपल्स की शादी हुई। इन शादियों से स्टेट और लोकल इकोनॉमी को करीब 1.58 बिलियन डॉलर का बूस्ट मिला। टैक्स रेवेन्यू करीब 102 मिलियन डॉलर जेनरेट हुआ। साथ ही 18,900 लोगों की जॉब्स को सपोर्ट मिला.

सेम सेक्स वेडिंग का इकोनॉमिक इंपैक्ट शॉर्ट टर्म में तो देखने को मिलता ही है। साथ ही इस तरह की शादी के लॉन्ग टर्म इकोनॉमिक बेनिफिट भी जुड़े होते हैं. नोबेल पुरस्कार विजेता इकोनॉमिस्ट गैरी बेकर ने पहली बार 1973 में मैरिज के इकोनॉमिक बेनिफिट पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि मैरिड कपल अपने टाइम और पैसों को अच्छी तरह से मैनेज कर सकते हैं. इकोनॉमिकली किसी एक पर पूरी तरह से बोझ नहीं पड़ता है। यहां तक की खर्चें तक कम हो जाते हैं।

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