100रुपया घुस मामले में 39वर्षों तक लड़ाई लड़ने के बाद मिला न्याय

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100रुपया घुस मामले में 39वर्षों तक लड़ाई लड़ने के बाद मिला न्याय

छत्तीसगढ़: सन 1986 में 100 रुपये रिश्वत के झूठे केस में फंसते ही जागेश्वर प्रसाद अवधिया की दुनिया ही बदल गई। दफ्तर, आस-पड़ोस, समाज में इज्जत चली गई। शर्म से बाहर निकलना मुश्किल हो गया।

वेतन आधा रह गया। घर के खर्च चलाना टेडी खीर साबित होने लगा। बच्चों की पढ़ाई छूट गई। पत्नी बीमारी में चल बसी।

उस दिन को याद करते हुए जागेश्वर बताते हैं कि उनकी जेब में 50-50 रुपये के दो नोट जबरन घुसेड़ दिए गए। जब तक वह सामने वाले को रोक पाते, लोकायुक्त की टीम आ गई। आसपास भीड़ जमा हो गई।

किसी ने ताना मारा, तो किसी ने उंगली उठाई। यह सब हो रहा था, लेकिन उस समय उनका शरीर ठंडा पड़ गया, जड़ हो गया। कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे पा रहे थे। 39 साल अदालतों में पेशियां लगाते-लगाते जवानी से बुढ़ापा आ गया।

1986 में ₹100 की रिश्वत के मामले में लोकायुक्त के जाल में फंसे अवाधिया को 2004 में निचली अदालत ने दोषी ठहराया था। अब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है।

Kaushal kumar
Author: Kaushal kumar

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