पंचेश्वर बांध काली नदी भारत – नेपाल सीमा पर पर बनने वाला बहुददेशीय बिजली परियोजना

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विक्रम सिंह रिपोर्टर
चम्पावत (उत्तराखण्ड)-05,अक्टूबर 2025
पंचेश्वर बाँध उत्तराखंड राज्य में भारत-नेपाल सीमा पर बनने वाला बहुउद्देशीय बिजली परियोजना है। जो उत्तराखंड के चंपावत जिले में बन रहा है। यह परियोजना काली नदी पर बनाई जा रही है। यह परियोजना भारत और नेपाल की सामूहिक परियोजना है जिसमे भारत का शेयर अधिक रहेगा। इस परियोजना का कार्य 2018 मे शुरू होना प्रस्तावित है जो 2026 तक पूरा हो जाएगा तथा 2028 तक इससे विधुत उत्पादन शुरू हो जाएगा। इस परियोजना में तीन डेम बनने प्रस्तावित हैं। 1. पंचेस्वर परियोजना (काली ओर सरयू के संगम पर) 2.रूपालिगाड डेम (काली ओर रूपालिगाड पर) 3.पूर्णागिरी डेम

पंचेस्वर डैम

यह भारत मे बनने के पश्चात सबसे बड़ा डैम होगा जिसकी ऊंचाई 315 मीटर प्रस्तावित है। यह एक imbankment डैम है। इसकी उत्पादन छमता 6480 मेगावाट प्रस्तावित है।

रूपालिगाड डैम

यह पंचेस्वर डैम से 25 km की दूरी पर रूपालिगाड ओर काली नदी के संगम पर बनेगा जिसकी उत्पादन छमता 240 मेगावाट होगी।

पूर्णागिरी डैम

यह पंचेश्वर डैम से 80 km की दूरी पर नीचे की ओर काली नदी में बनेगा जिसकी उत्पादन क्षमता 1000 मेगावॉट होगी। इस प्रकार पंचेस्वर डैम की कुल उत्पादन छमता 7840 मेगावाट हो जाएगी।

पंचेश्वर बांध भारत और नेपाल की सीमा पर उत्तराखंड में काली (या शारदा) नदी पर प्रस्तावित एक बहुत बड़ा बहुउद्देशीय बांध है, जिसका उद्देश्य बिजली उत्पादन और सिंचाई है। यह दोनों देशों का एक संयुक्त उद्यम है, जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 7840 मेगावाट हो सकती है और ऊंचाई 315 मीटर प्रस्तावित है।

मुख्य बिंदु

स्थान:

उत्तराखंड के चंपावत जिले में काली और सरयू नदियों के संगम से लगभग 2.5 किलोमीटर नीचे, भारत-नेपाल सीमा पर स्थित।

प्रकार:

यह एक बहुउद्देशीय परियोजना है जिसका उद्देश्य बिजली उत्पादन और सिंचाई करना है।

परियोजना भागीदार:

यह भारत और नेपाल की संयुक्त परियोजना है।

ऊंचाई:

प्रस्तावित बांध की ऊंचाई 315 मीटर है।

उत्पादन क्षमता:

इसकी कुल प्रस्तावित उत्पादन क्षमता 7840 मेगावाट है, जिसमें पंचेश्वर बांध की 6480 मेगावाट है, Wikipedia।

सिंचाई:

इस बांध से भारत और नेपाल दोनों देशों में सिंचाई सुविधा मिलेगी।

भूकंपीय संवेदनशीलता:

परियोजना स्थल भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में है, जिससे भूगर्भवेत्ताओं ने चिंता जताई है।

Kaushal kumar
Author: Kaushal kumar

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